सोशल मीडिया में चर्चा में आने वाला एजेंडा किस तरह से मुख्य धारा की
राजनीतिक पार्टियों के प्रभावित करता है, इसकी एक मिसाल बकरीद पर होने वाली
कुर्बानी को लेकर शुरू हुई बहस में देखा जा सकता है। केंद्र में सत्तारूढ़
भारतीय जनता पार्टी के मीडिया विभाग के प्रमुख श्रीकांत शर्मा ने कहा कि
विद्वान लोग इस पर विचार कर सकते हैं कि इको फ्रेंडली बकरीद कैसे मनाई जाए।
इससे पहले शिवसेना ने भी यह मुद्दा उठाया हजारों बेजुबान पशुओं की
कुर्बानी पर सवाल उठाए। उधर संघ से जुड़े कुछ लोगों ने उत्तर प्रदेश में
बकरे के आकार का केक काट कर बकरीद मनाने की अपील की।
असल में यह पूरी बहस सोशल मीडिया में शुरू हुई। हिंदू त्योहारों को लेकर अदालत से हुए कुछ फैसलों, कुछ अखबारों की मुहिम और कुछ पर्यावरण प्रेमियों की अपील को लेकर सोशल मीडिया में विरोध हुआ था। पिछले दिनों अदालत ने दक्षिण भारत में होने वाले जल्लीकट्टू पर रोक लगाई थी और मुंबई में दही हांडी की ऊंचाई तक की थी। इसी तरह हर दिवाली पर पटाखे नहीं फोड़ने या होली पर बिना पानी के होली खेलने की मुहिम चलती है। इस तरह के अभियानों का विरोध करने वाले हिंदुवादी संगठनों ने बकरीद पर कुर्बानी का मुद्दा उठाया। अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें @ goo.gl/9YppOi
असल में यह पूरी बहस सोशल मीडिया में शुरू हुई। हिंदू त्योहारों को लेकर अदालत से हुए कुछ फैसलों, कुछ अखबारों की मुहिम और कुछ पर्यावरण प्रेमियों की अपील को लेकर सोशल मीडिया में विरोध हुआ था। पिछले दिनों अदालत ने दक्षिण भारत में होने वाले जल्लीकट्टू पर रोक लगाई थी और मुंबई में दही हांडी की ऊंचाई तक की थी। इसी तरह हर दिवाली पर पटाखे नहीं फोड़ने या होली पर बिना पानी के होली खेलने की मुहिम चलती है। इस तरह के अभियानों का विरोध करने वाले हिंदुवादी संगठनों ने बकरीद पर कुर्बानी का मुद्दा उठाया। अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें @ goo.gl/9YppOi
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