भारतीय रिजर्व बैंक के कॉर्पोरेट ऋण के प्रस्तावित सख्त नियमों की वजह से
बैंकों का झुकाव उपभोक्ता ऋणों की आेर बढ़ेगा। भारतीय स्टेट बैंक
(एस.बी.आई.) की चेयरपर्सन अरुंधति भट्टाचार्य ने यह बात कही है। उन्होंने
इस बात पर जोर दिया कि खुदरा खंड में कोई बुलबुला नहीं फूटने वाला है।
रिजर्व बैंक ने पिछले महीने बड़े कॉर्पोरेट को ऋण के लिए दिशानिर्देशों का
मसौदा जारी किया है।
इसके तहत बैंकों से कहा गया है कि यदि ऋण की राशि तय सीमा से अधिक होती है तो वे इसके लिए अतिरिक्त प्रावधान करें। भट्टाचार्य ने कहा,‘ताजा नियमों से बड़ी कंपनियों को कर्ज देना बैंकों के साथ-साथ कर्ज लेने वाली कंपनियों दोनों के लिए अधिक महंगा बैठेगा। उन्होंने कहा कि ऐसे में रिजर्व बैंक खुद हमें ऐसे मॉडल की ओर धकेल रहा है जो खुदरा अधिक है। हालांकि, उन्होंने इसके साथ जोड़ा कि एस.बी.आई. पर किसी तरह का दबाव नहीं है, पूरी प्रणाली के बारे में रिजर्व बैंक जानता होगा। बिजनेश समाचार के बारे में अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें @ goo.gl/Sgh0yH
इसके तहत बैंकों से कहा गया है कि यदि ऋण की राशि तय सीमा से अधिक होती है तो वे इसके लिए अतिरिक्त प्रावधान करें। भट्टाचार्य ने कहा,‘ताजा नियमों से बड़ी कंपनियों को कर्ज देना बैंकों के साथ-साथ कर्ज लेने वाली कंपनियों दोनों के लिए अधिक महंगा बैठेगा। उन्होंने कहा कि ऐसे में रिजर्व बैंक खुद हमें ऐसे मॉडल की ओर धकेल रहा है जो खुदरा अधिक है। हालांकि, उन्होंने इसके साथ जोड़ा कि एस.बी.आई. पर किसी तरह का दबाव नहीं है, पूरी प्रणाली के बारे में रिजर्व बैंक जानता होगा। बिजनेश समाचार के बारे में अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें @ goo.gl/Sgh0yH
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