Monday 14 November 2016

नोट के आगे सारे मुद्दे गायब!

काला धन बाहर लाने के लिए पांच सौ और एक हजार रुपए के नोट बंद करने के फैसले से सरकार को होने वाली कमाई का ब्योरा 50 दिन बाद यानी 30 दिसंबर के बाद मिलेगा। लोगों की परेशानी का ब्योरा अभी मिल रहा है। लेकिन इस पूरी बहस में वे सारे मुद्दे गायब हो गए हैं, जिनसे थोड़े दिन पहले पूरा देश आंदोलित था। इसमें कुछ मुद्दे तो केंद्र सरकार और भाजपा को परेशान करने वाले थे तो कुछ मुद्दे उसके फायदे वाले भी थे।


मिसाल के तौर पर सरकार ने 28 सितंबर की रात को नियंत्रण रेखा के पार जाकर आतंकी शिविरों को नष्ट किया था और भाजपा के नेता देश भर में घूम कर इस पर अपना स्वागत करा रहे थे। वह अभियान थम गया है। इसके साथ ही सैनिकों की शहादत का शोर भी थम गया है। शुक्रवार को पाकिस्तान ने दो भारतीय जवानों को मार डाला और शनिवार को एक और जवान शहीद हुआ। लेकिन इस पर न कोई चर्चा हुई और न शहीदों के शव उनके पैतृक गांव पहुंचने पर कोई जुलूस निकला।

पूर्व सैनिक राम किशन ग्रेवाल की खुदकुशी पर जबरदस्त राजनीति चल रही थी, लेकिन कांग्रेस और आप दोनों के नेता अब इसे भूल गए हैं। इसी तरह जेएनयू के लापता छात्र नजीब की तलाश कहां तक पहुंची इसकी चर्चा भी थम गई है। इन दोनों मुद्दों से केंद्र सरकार घिर रही थी। बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शराबबंदी और सात निश्चय को लेकर यात्रा कर रहे हैं, लेकिन पूरा राज्य नोट बदलने के काम में लगा है। झारखंड में सीएनटी और एसपीटी कानून पर बवाल था, लेकिन अब लोग नोट बदलने के काम में लगे हैं। अधिक जानकारी के  लिए क्लिक करें @ goo.gl/5iuumg

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