Thursday 16 June 2016

शुक्रवार, जून 17, 2016 महंगाईः फिर आग लगने पर कुआं!

प्रधानमंत्री का खुद मंत्रियों की बैठक में शामिल होना बताता है कि बढ़ी महंगाई को लेकर एनडीए सरकार कितनी चिंतित है। महंगाई हमेशा ही राजनीतिक रूप से संवेदनशील मसला रही है। फिर भी अजीब यह है कि जब कीमतें सामान्य स्तर पर आ जाती हैं, तो सरकारें निश्चिंत हो जाती हैँ। पूर्वानुमान के आधार पर ऐसे उपाय नहीं किए जाते, जिससे खाद्य पदार्थों और रोजमर्रा की जरूरत वाली चीजों के दाम एक सीमा से ज्यादा ना बढ़ें। अब जबकि दाल के बाद चीनी और सब्जियों के भाव तेजी से चढ़े हैं, तो सरकार हरकत में आई है।


ऐसे में बाजार का ताजा रुख चिंता पैदा करने वाला है। फिलहाल कई जगहों पर टमाटर 100 रुपए किलो तक बिक रहा है। ताजा सरकारी आंकड़ों के अनुसार बीते तीन महीनों में दालें 35 फीसदी, आलू 60 प्रतिशत और आम सब्जियां 12 प्रतिशत महंगी हुई हैं। चीनी का मूल्य 22 फीसदी बढ़ा है। नतीजतन मई में खाद्य पदार्थों की थोक भाव आधारित महंगाई दर 7.88 प्रतिशत तक पहुंच गई। कुल खुदरा मूल्य आधारित मुद्रास्फीति दर बढ़कर 5.76 प्रतिशत हो गई। मानसून आने में देरी, गर्मी, बीते दो सीजन में कृषि पैदावार में गिरावट, जमाखोरी, डीजल के दाम में इजाफे को ताजा महंगाई का कारण माना गया है। ये तमाम कारण पहले से जाहिर थे। सरकार तभी सचेत होती, तो उसे आग लगने पर कुआं नहीं खोदना पड़ता। @ http://ow.ly/LKpf301lLZ6

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