ऐसा नहीं है कि सिर्फ अदालतों में जजों की नियुक्तियों में देरी हो रही है
या केंद्र के शीर्ष पदों पर ठेके पर अधिकारी बैठाए जा रहे हैं, कई
संवैधानिक संस्थाओं में भी प्रमुखों की नियुक्ति अटकी हुई है। राजनीतिक रूप
से अहम माने जाने वाले संवैधानिक पदों पर भी नियुक्तियों में देरी की जा
रही है।
राजनीतिक रूप से बेहद अहम माने जाने वाले अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष का पद अक्टूबर से खाली है। उत्तर प्रदेश में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं, जहां की जातीय राजनीति को देखते हुए इन तीनों संस्थाओं के प्रमुख पद पर नियुक्तियों में तेजी दिखाई जानी चाहिए थी। लेकिन अभी तक इसकी प्रक्रिया भी शुरू नहीं हुई है और ऐसा नहीं लग रहा है कि सरकार किसी जल्दी में है। अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें@ goo.gl/YMisKP
राजनीतिक रूप से बेहद अहम माने जाने वाले अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष का पद अक्टूबर से खाली है। उत्तर प्रदेश में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं, जहां की जातीय राजनीति को देखते हुए इन तीनों संस्थाओं के प्रमुख पद पर नियुक्तियों में तेजी दिखाई जानी चाहिए थी। लेकिन अभी तक इसकी प्रक्रिया भी शुरू नहीं हुई है और ऐसा नहीं लग रहा है कि सरकार किसी जल्दी में है। अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें
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