एचएसबीसी और यूबीएस समेत कई विदेशी निवेशकों ने विवादास्पद पी-नोट जारी
करना बंद कर दिया है। इसका कारण नियामक और प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा इसके
दुरूपयोग को रोकने के लिये उठाये गये कदम हैं। एक समय पी-नोट भारतीय
बाजारों में निवेश के लिये विदेशी निवेशकों के बीच काफी लोकप्रिय माध्यम था
लेकिन अब इसमें कमी आयी है। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने
आगे की कार्रवाई के लिये उन विदेशी फंड हाउस की सूची सौंपी है जो विदेशों
से निवेश के इस साधन, ऑफशोर डेरिवेटिव इंस्ट्रूमेंट (ओडीआई) भारतीय
नागरिकों को जारी करते पाये गये।
सेबी ने अवैध धन की हेराफेरी में इसके दुरूपयोग को लेकर कार्रवाई में तेजी के बीच पी-नोट जारी करने वाले निवेशकों के साथ इसके जरिये भारतीय बाजारों में धन लगाने वालों की जांच तेज कर दी है। एक समय यह उन निवेशकों में काफी लोकप्रिय था जिन्होंने सीधे भारतीय बाजार में प्रवेश नहीं करना चाहते थे और पंजीकृत एफपीआई द्वारा उपलब्ध इस साधन के जरिये निवेश करते थे। उच्चतम न्यायालय द्वारा कालेधन पर नियुक्त विशेष जांच दल (एसआईटी) के सुझावों समेत लगातार नियमों को कडा किये जाने से पी-नोट के जरिये निवेश में काफी कमी आयी है। दस साल पहले कुल विदेशी पोर्टफोलियो निवेश में जहां पी-नोट की हिस्सेदारी 56 प्रतिशत थी वहीं अब यह सात प्रतिशत से कम रह गई है।@ goo.gl/dlskQK
सेबी ने अवैध धन की हेराफेरी में इसके दुरूपयोग को लेकर कार्रवाई में तेजी के बीच पी-नोट जारी करने वाले निवेशकों के साथ इसके जरिये भारतीय बाजारों में धन लगाने वालों की जांच तेज कर दी है। एक समय यह उन निवेशकों में काफी लोकप्रिय था जिन्होंने सीधे भारतीय बाजार में प्रवेश नहीं करना चाहते थे और पंजीकृत एफपीआई द्वारा उपलब्ध इस साधन के जरिये निवेश करते थे। उच्चतम न्यायालय द्वारा कालेधन पर नियुक्त विशेष जांच दल (एसआईटी) के सुझावों समेत लगातार नियमों को कडा किये जाने से पी-नोट के जरिये निवेश में काफी कमी आयी है। दस साल पहले कुल विदेशी पोर्टफोलियो निवेश में जहां पी-नोट की हिस्सेदारी 56 प्रतिशत थी वहीं अब यह सात प्रतिशत से कम रह गई है।
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