भारत में सरकार हथियार खरीदती है, हेलीकॉप्टर
खरीदती है और लड़ाकू विमान खरीदती है और फिर इनके घोटालों की चर्चा बेचने
वाले देश में होने लगती है। बोफोर्स तोप खरीद घोटाले की चर्चा बरसों तक
स्वीडन में होती रही थी। वैसे ही राफेल लड़ाकू विमान सौदे की चर्चा फ्रांस
में हो रही है। फ्रांस की सरकार, विमान बनाने वाली कंपनी, सौदा करने वाले
पूर्व राष्ट्रपति और मीडिया बिरादरी सब इसमें उलझे हैं। इसी तरह सरकार ने
अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर खरीद का सौदा इटली से किया था, जिसके घोटालों
की कई साल से चर्चा चल रही है। इसके एक आरोपी को दुबई से प्रत्यर्पित करके
भारत लाना है। इस बीच इटली की एक अदालत ने इस मामले में फैसला सुना दिया
है। वहां की अदालत ने कहा है कि उसे अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर सौदे में
किसी तरह की गड़बड़ी का सबूत नहीं मिला है।
ध्यान रहे यह सौदा कांग्रेस के राज में हुआ था, जिसमें कांग्रेस के कई
नेताओं के फंसने की चर्चा है। दुबई में पकड़े गए आरोपी का कहना है कि जांच
एजेंसियां उस पर सोनिया गांधी का नाम लेने के दबाव डाल रही थीं। तभी यहां
की जांच एजेंसियों ने कह दिया है कि वह इटली की अदालत का फैसला नहीं
मानेगी। उसकी जांच जारी रहेगी और फैसले से उसकी जांच पर असर नहीं होगा। पर
राफेल के मामले में भारत सरकार फ्रांस की सरकार की हर बात मानने को तैयार
है क्योंकि इस मामले में मौजूदा सरकार के बड़े लोगों के नाम आ रहे हैं। Visit @ https://bit.ly/2pvYbOC